हिट एंड रन कानून और ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल

हाल ही में, केंद्र सरकार ने “हिट एंड रन” कानून के तहत होने वाली सजा में कुछ परिवर्तन करके, एक नया संशोधित कानून प्रस्तुत किया है. परन्तु इस लेख के लिखे जाने तक (दिनांक 02-01-2023) यह कानून लागू नहीं किया गया है. फिर भी इस नए कानून में दिए गए प्रावधानों के विरोध में, भारत के कई हिस्सों के ट्रक चालकों ने हड़ताल शुरू कर दी है.
                                                  
इस संशोधित कानून के तहत, यदि कोई वाहन चालक लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए, अपनी गाड़ी द्वारा किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाता है और उसके बाद वह वाहन चालक, पुलिस अथवा सम्बंधित अधिकारियों/संस्थानों को सूचित किये बगैर फरार हो जाता है, तो अब उसे “दस वर्ष तक का कारावास” एवं “7” लाख रूपये तक का जुर्माना” भरना पड़ सकता है. पूर्व के कानून में इस प्रकार की घटना के बाद अधिकतम “दो वर्षो” के कारावास का प्रावधान था.

इस मुद्दे पर यह समझना आवश्यक है कि इस प्रकार की किसी दुर्घटना होने पर वाहन चालक, घटना वाली जगह से इसलिए भागना उचित समझते हैं जिससे कि घटना के बाद इकट्ठी होने वाली भीड़/लोग, उससे क्रूर व्यवहार न करे.
                                                      
अक्सर यही देखने में आता है कि ऐसी किसी भी घटना के बाद (यदि निर्जन स्थानों को छोड़ दिया जाए तो), आस पास के इकट्ठा हुए लोग, बिना कोई विचार किये ही, बड़ी गाडी के ड्राईवर को स्वतः ही दोषी मान लेते हैं, और अधिकांश मामलों में तो वे उससे बड़ी क्रूरता से पेश आते हैं. इसी से बचने के लिए ड्राईवर वहां से फरार होना उचित समझते हैं.

कई बार यह भी देखने को मिलता है कि इस प्रकार की घटना के बाद ड्राईवर जानबूझकर फरार होने की सोचते हैं. यह वाकई में निंदनीय कृत्य होता है. शायद यह कानून इस बात को ध्यान में रखकर बनाया गया होगा, जिससे इस प्रकार की घटनाओं को कम किया जा सके.

खैर, इस कानून में यह बात स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि “इस प्रकार का दंड, मात्र ऐसे वाहन चालकों के लिए है जो ऐसी घटना के बाद पुलिस/संबधित संस्थाओं/अधिकारियों को सूचित किये बिना ही फरार हो जाते हैं”. ऐसा प्रावधान चालकों को यह सहूलियत भी प्रदान करता है, कि इस प्रकार की घटना के तुरंत बाद वे पुलिस को सूचित कर दें.

आज के समय में किसी भी स्थान से “112” नम्बर पर फोन करके, पुलिस को ऐसी घटना की जानकारी दी जा सकती है. अतः वाहन चालकों को इस बात से संतुष्ट होना चाहिए, कि इस कानून में ऐसा प्रावधान मौजूद है जिससे वे अपनी जिम्मेदारियाँ निभा सकते हैं, और बिना बताये फरार होने की कोशिश न करें. 
भीड़भाड़ वाली जगह पर ऐसी घटना होने पर यदि उन्हें अपने जान माल का भय हो, तो वे उस स्थान से कुछ दूरी पर जाकर, पुलिस को अपने फ़ोन द्वारा (112 नम्बर पर फोन करके) सूचित करें. इस कानून के कठोर प्रावधानों से यह उनके लिए बड़ा बचाव है.

कुछ टी. वी. चैनलों के माध्यम से यह देखने सुनने में आया कि ट्रक चालक यह दलीलें दे रहे हैं कि यदि 7 लाख रूपये भरने के काबिल होते तो ट्रक क्यूँ चला रहे होते. तो ऐसे लोगों के लिए यह जानना आवश्यक है कि यदि किसी कारण वश कोई दुर्घटना हो जाती है, और वाहन चालक इसकी सूचना पुलिस को देकर अपनी बात रखते हैं तो आगे जो धन वसूलने की कार्यवाही होगी, उसमें बीमा कंपनी भी भागीदार होगी. 

यह हर वाहन चालक की जिम्मेदारी है कि वह अपने वाहन को “बीमित” रखे, और सड़क पर दूसरों के जीवन के प्रति जिम्मेदारी के भाव के साथ वाहन चलाए. यदि उनका वाहन “बीमित” है और वे जिम्मेदारी के साथ वाहन चलाते हैं, तो एक ओर वे दूसरों की जिन्दगियों को खतरे में डालने से बचने का प्रयास करते हैं, वहीं दूसरी ओर किसी भी आकस्मिक दुर्घटना की स्थिति में होने वाले आर्थिक नुकसान से उनका भी बचाव होता है; क्यूंकि जिस भी बीमा कम्पनी से उनके वाहन का बीमा होता है, मुख्यतः वह बीमा कंपनी ही, इस प्रकार की किसी भी दुर्घटनाओं से होने वाले नुकसान (चाहे वाहन द्वारा किसी अन्य व्यक्ति का नुकसान हुआ हो, अथवा उसकी/उनकी मृत्यु हुई हो) के भरपाई की जिम्मेदार होती है. वाहनों के बीमा का मूल्य उद्देश्य यही होता है, कि किसी भी दुर्घटना की स्थिति में क्षतिपूर्ति हेतु सम्बंधित बीमा कम्पनी ही जिम्मेदार हो.  
अतः यदि सभी के वाहनों का बीमा रहता है, तो किसी दुर्घटना की स्थति में उस वाहन के चालक पर आर्थिक बोझ आने की संभावना नहीं होती है. अतः हर प्रकार के वाहनों के चालकों को चाहिए कि वे अपने ड्राइविंग लाइसेंस, इन्सुरेंस (बीमा) एवं गाडी के सभी प्रकार के कागजातों को हमेशा अपडेट रखें.                                                    


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