लालकिले से संबोधन के तरीकों से देश में बदलाव दिखाई देता है.
भारत के स्वतंत्रा दिवस पर हर प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले से देश के नाम संबोधन की परम्परा है. इस परम्परा को निभाने के तरीके में पिछले लगभग 2 दशकों में किस प्रकार के बदलाव हुए हैं वह कुछ तसवीरों से स्पष्ट दिखाई देता है -
1. अटल बिहारी वाजपई के संबोधन: इसमें वे बुलट प्रूफ शीशे से बने हुए एक पिंजरे नुमा आवरण के पीछे से बोल रहे हैं.
वहीँ जबसे नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनें हैं, तब से देश में (कश्मीर क्षेत्र को छोड़कर) किसी भी प्रकार के बड़े बम ब्लास्ट अथवा सीरियल ब्लास्ट की घटनाएं नहीं हुई हैं और यदि कहीं पर कोई छोटा मोटा ब्लास्ट हुआ भी है तो वहां पर जनहानि शायद ही हुई हो . उन्होंने आतंकवाद से पीड़ित पूरे देश को सुरक्षा प्रदान की है.
आज प्रधानमंत्री ने देश की सुरक्षा एजेंसीज को इस काबिल बनाया है जिससे भारत का आम नागरिक आतंकवाद जैसी घटनाओं से सुरक्षित है. प्रधानमंत्री जब स्वयं खुले वातावरण में भयमुक्त होकर देश को संबोधित करते हैं तो देश का आम नागरिक भी स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है. नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने से मुम्बई के माफिया राज पर भी बहुत बड़ी लगाम कसी गई है.
अतः सत्ता में किस प्रकार के लोग होने चाहिए इस बात का आकलन हम स्वयं में कर सकते हैं.
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changed way of independence day speech by pm modi in comparison to atal bihari Vajpayee and manmohan singh. PM Modi does'nt hides behind bullet proof glasses
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