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Showing posts from August, 2023

सबसे सस्ती दवाएं - जन औषधि केंद्र पर.

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  देश के लोगों को बाजार की तुलना में बेहद सस्ते मूल्यों पर लगभग सभी प्रकार की दवाएं उपलब्ध कराने हेतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा “प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना” चलाई जा रही है. इस योजना के अंतर्गत देश के लगभग सभी हिस्सों में “जन औषधि केन्द्रों” (विशेष दवा की दुकानों) को खोला जा रहा है. इन केन्द्रों की ख़ास भात यह है कि यहाँ पर दवाइयाँ बहुत ही कम दामों में उपलब्ध होती है. यदि एक सामान्य बात करें तो इन केन्द्रों से मिलने वाली अधिकतर दवाओं का मूल्य, बाजार में उपलब्ध उसी दवा के मूल्य से लगभग 60- 9 0 % तक कम होती हैं. उदाहरण के तौर पर यदि एक सामान्य दवा; जोकि एसिडिटी के लिए लगभग डॉक्टर्स द्वारा पेशेंट्स को खाने को लिखा जाता है, उसका नाम है – पेंटोप्रोजोल - 40 mg ( pentoprozole-40 mg).   यह दवा बाजार में कई नामों से उपलब्ध है, परन्तु बाजार में इस दवा के एक पत्ते (10 कैप्सूल) की कीमत लगभग 130 – 150 रू० होती है, परन्तु यदि इसी दवा को जन औषधि केन्द्रों से खरीदा जाए तो यह मात्र 12 – 13   रूपये में ही मिल जाती हैं. मूल्य - Rs. 12  बजार में इसी दवा का मूल्य - Rs. 146 यदि किसी पर

चीन व इंडोनेशिया से प्रति व्यक्ति आय की तुलना

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  भारत को आजादी वर्ष 1947 में प्राप्त हुई, और हमारे आसपास के कुछ देश भी इसी के आसपास के वर्षों में आजाद हुए. यदि हम अपने आसपास के मात्र दो देशों के विकास की तुलना भारत से करें तो हमें पता चलता है कि किस देश का नेतृत्व कितना कुशल साबित हुआ. 1980 तक चीन और भारत की अर्थव्यवस्था एवं संसाधन इत्यादि सब भारत के लगभग बराबर ही थे, परन्तु समय बढ़ने के साथ – साथ लगभग सभी सम्मानित पैरामीटर पर भारत का इन देशों से अंतर बढ़ता ही गया. यह डाटा हमारे उस काल खंड के नेतृत्व पर भी सवाल खड़ा करता है. #china #indonesia #india #gniofchina #gniofindia #gniofindonesia #freedomofindonesia  #percapitaincomeofinidia #gdpofchina #percapitaincomeofindonesia #gnipercapitaofchinaindonesiaandindia

लालकिले से संबोधन के तरीकों से देश में बदलाव दिखाई देता है.

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भारत के स्वतंत्रा दिवस पर हर प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले से देश के नाम संबोधन की परम्परा है. इस परम्परा को निभाने के तरीके में पिछले लगभग 2 दशकों में किस प्रकार के बदलाव हुए हैं वह कुछ तसवीरों से स्पष्ट दिखाई देता है - 1. अटल बिहारी वाजपई के संबोधन : इसमें वे बुलट प्रूफ शीशे से बने हुए एक पिंजरे नुमा आवरण के पीछे से  बोल रहे हैं.                        2. मनमोहन सिंह के संबोधन: इसमें वे बुलट प्रूफ शीशे से बने हुए एक पिंजरे नुमा आवरण के पीछे से बोल रहे हैं.  3. 2014 के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए भाषण : इसमें किसी भी प्रकार के बुलट प्रूफ शीशे के सुरक्षा कवच नहीं हैं.     उपरोक्त तसवीरें बतातीं हैं कि मोदी से पहले के कुछ प्रधानमंत्री जब अपनी सुरक्षा के प्रति आस्वस्त नहीं हुआ करते थे तो देश के आम नागरिकों को वे क्या सुरक्षा दे सकते थे ? तरह - तरह के सुरक्षा कवच होते हुए भी वे अपने ऊपर आतंकवादियों के हमलों को लेकर आशंकित रहा करते थे ऐसे में देश का आम नागरिक अपने को सुरक्षित कैसे  महसूस कर सकता था. उस समय के प्रधानमंत्रियों के नेतृत्व में देश में आतंकवादी घटनाएं बड़ी ही