गरीबों के शवों के अंतिम संस्कार हेतु सरकार का सहयोग अपेक्षित.
लड़के का अपनी माता के शव
को छोड़ कर चले जाने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस के जवानों ने वृद्धा का अंतिम
संस्कार कराया.
पैसों की कमी के कारण आज
भी देश में बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपने परिवार के मृतकों के अंतिम संस्कार नहीं
करा पाते. यह बेहद मार्मिक स्थिति है और हर हाल में हमारी सरकारों को इस ओर
गंभीरता से प्रभावी कार्य करने की आवश्यकता है.
आज देश में भूख से कोई नहीं मर सकता, क्यूंकि देश में सरकार की ओर से राशन की व्यवस्था सभी के लिए उपलब्ध है. परन्तु ऐसे बहुत से अल्प आमदनी वाले लोग हैं जो अपने परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु होने पर उनके अंतिम संस्कार भी कर पाने में सक्षम नहीं होते.
किसी भी परिवार में किसी
सदस्य की मृत्यु होने पर मृत व्यक्ति के मूलभूत अंतिम संस्कार; जैसे शव ले लाने ले
जाने के लिए किराये की गाडी मंगाना, दाह संस्कार / दफनाने हेतु लकड़ियों / ताबूत इत्यादि
हेतु धन की तत्काल आवश्यकता होती है. अत्यधिक अल्प आय वाले परिवारों में किसी पारिवारिक
सदस्य की आकस्मिक मृत्यु होने पर धन की तत्काल व्यवस्था करना बड़ा कठिन कार्य होता
है.
देश के कुछ क्षेत्र एवं अनेकों
परिवार ऐसे हैं जो दाह संस्कार हेतु लकड़ियाँ नहीं खरीद पाते हैं जिसके कारण वे मृत
व्यक्ति के शव को नदियों में ऐसे ही प्रवाहित करने को बाध्य होते हैं. प्रयागराज
के आस पास मृतकों को जमीन में दफनाने की भी प्रथा है, जिसके पीछे एक बड़ा कारण यह
भी दिखाई देता है कि लोग दाह संस्कार हेतु लकड़ियाँ एवं अन्य भी आवश्यक सामग्री खरीद
पानें में अक्षम होते हैं. इसी प्रकार प्रतापगढ़ में भी कई क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ पर
लोग दाह संस्कार करने में अक्षम होने की वजह से शवों को नदियों में प्रवाहित करते
हैं.
सुझाव - जिस प्रकार से आज सभी के लिए सरकारी खर्च पर एम्बुलेंस की
सुविधा प्रदान की जा रही है, ठीक उसी प्रकार से मृतकों के शवों को इलेक्ट्रिक शव
दाह गृह अथवा मृतक के परिवार के निवास स्थान से किसी निकटतम दाह संस्कार स्थल तक
शव पहुंचाने हेतु शव वाहनों की व्यवस्था सरकारी कोष से करने की व्यवस्था करनी
चाहिए साथ ही दाह संस्कार हेतु लकड़ियों इत्यादि की भी उपलब्धता के लिए सम्बंधित ग्राम
/ नगर पालिका / नगर निगम क्षेत्र के सम्बंधित कर्मचारी / अधिकारी को इस बात की
जिम्मेदारी दी जानी चाहिए कि जो भी व्यक्ति ऐसी सुविधा प्राप्त करना चाहता हो, उसे
तत्काल बिना किसी देरी के सुविधा उपलब्ध कराना सुनिश्चित करे.
इस कार्य के लिए सरकार एक
अलग से कोष बनाकर धन की व्यवस्था कर सकती है, साथ इस कोष में सामान्य नागरिकों के
दान को भी स्वीकार करने के लिए व्यवस्था करनी चाहिए जिससे आम नागरिक भी इस कोष में
अपनी स्वेक्षा से अपना आर्थिक सहयोग दे सकें.
इस सुविधा को अधिक से
अधिक जरूरतमंद लोगों तक सुलभ पहुँच हेतु – सभी प्रकार के सरकारी एवं निजी
अस्पतालों के मुख्य द्वार पर पठनीय रूप में, फ्री में उपलब्ध शव वाहनों की
उपलब्धता हेतु टोल फ्री नंबर लिखा जाना अनिवार्य करना चाहिए जिससे बहुत से जरूरतमंद
नागरिकों की मदद की जा सके.
Reference /स्रोत -
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