आज उपलब्ध महाभारत अपने वास्तविक स्वरुप में नहीं है
महाभारत के संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य -
“महाभारत” की रचना महर्षि वेद व्यास ने की थी.
वेद व्यास द्वारा रचित “महाभारत” का नाम था – “जया”
“जया” में लगभग “8800” श्लोक थे.
कालान्तर में “जया” में लिखित श्लोकों की संख्या को बढ़ाकर लगभग “24000” कर दिया गया, जिसका नाम पड़ा “भारत”.
कालान्तर में “भारत” (पूर्व का “जया”) के श्लोकों की संख्या को बढ़ाकर लगभग “1.00 लाख” कर दिया गया, जिसका नाम “महाभारत” रखा गया.
आखिर समय के साथ – साथ इस काव्य में श्लोकों की संख्या कैसे बढ़ गई ?
ऐसा माना जाता है कि वास्तविक “महाभारत” जिसका नाम “जया” था वह आज सामान्य रूप से कहीं भी उपलब्ध नहीं है.
यदि ऐसा है, तो फिर इस उपलब्ध ग्रन्थ में लिखित बातों को यथावत मान लेना उचित प्रतीत नहीं होता.
मूल ग्रन्थ में इस प्रकार के छेड़छाड़ से अथवा कुछ लोगों द्वारा उसमें मन मुताबिक परिवर्तन करने से, उस ग्रन्थ की मूल आत्मा गायब हो जाती है.
References -
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https://www.cs.mcgill.ca/~rwest/wikispeedia/wpcd/wp/m/Mahabharata.htm
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https://www.sanskritimagazine.com/jaya-original-name-mahabharata/
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