पुत्र प्राप्ति हेतु यज्ञ से उत्पन्न खीर
पुत्र प्राप्ति हेतु यज्ञ से उत्पन्न खीर अयोध्या के महाराजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति हेतु सृंगी मुनि के द्वारा एक यज्ञ कराया , उस यज्ञ से अग्निदेव प्रकट हुए, और उन्होंने एक औषधि युक्त दिव्यखीर, महाराज दशरथ को प्रदान की , अग्निदेव ने राजा दशरथ से कहा, कि वे इस खीर को अपनी तीनों महारानियों को खिलाएं, जिससे उन्हें पुत्रों की प्राप्ति होगी. अब बात करते हैं खीर की. क्या खीर खाने से पुत्र उत्पन्न हो सकते हैं ? पहले हम यज्ञ के अर्थ को समझने का प्रयास करते हैं , भगवान श्री कृष्ण ने गीता में यज्ञ के बारे में बताया है , उन्होंने कई प्रकार के यज्ञों का वर्णन भी किया है , जिसमें ज्ञान यज्ञ , भक्ति यज्ञ इत्यादि प्रमुख हैं , यज्ञ का मुख्य अर्थ है किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किये जाने वा ले समर्पित प्रयास . प्रयास , शोध के भी होते हैं , जिससे विभिन्न प्रकार के अ विष्कार किये जाते हैं . यज्ञ शब्द के इस्तेमाल को महाराज गरुण द्वारा नीचे जोड़े गए वीडियो में भी सुनिए - यह तब का संवाद है जब भगवान् श्री राम भाई