ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल “ताड़न” के अधिकारी प्रसंग में “ढोल” को ताड़ने का अर्थ
ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल “ताड़न” के अधिकारी प्रसंग में “ढोल” को ताड़ने का अर्थ
क्या “ढोलक” को “ढोलक वादकों” द्वारा प्रताड़ित किया जाता है ?
ढोलक के जो संगीतकार होते हैं, जिन्हें “ढोलक वादक” कहा जाता है, “ढोलक वादन” उनका प्रिय, पवित्र एवं सम्मान प्रदान करने वाला कार्य होता है.
“ढोलक वादक” या तो खुद की रुचि के लिए “ढोलक वादन” करते हैं या फिर “ढोलक वादन” उनका व्यवसाय (profession) होता है, या यूँ कहें कि “ढोलक वादकों” की आजीविका “ढोलक वादन” से जुडी होती है. उनके लिए यह सम्मानजनक कार्य भी होता है.
जिस प्रकार किसी व्यवसाई के लिए उसकी दुकान अथवा उसका व्यापारिक प्रतिष्ठान उसके लिए पूजनीय होता है उसी प्रकार एक “ढोलक वादक” के लिए उसकी “ढोलक” उसके लिए एक अत्यंत प्रिय एवं पूजनीय वस्तु/वाद्य यंत्र होती है.
जो वाद्य यंत्र किसी के मन को सुकून देता है अथवा किसी की आजीविका का साधन होता है क्या उसे कोई “वादक” प्रताड़ित करने की सोच सकता है ?
यदि ढोलक बजाने को प्रताड़ित करना समझा जाए तो क्या वीणा, सितार, मंदिर की घंटी, मृदंग, नगाड़ा, डमरू इत्यादि वाद्य यंत्रों को प्रताड़ित करके मधुर ध्वनि उत्पन्न की जाती है ?
“ढोल” ताड़ना का अर्थ – कारण ?
सामान्यतः ढोलक का ऊपरी हिस्सा जिसपर उँगलियों एवं हथेलियों द्वारा ध्वनि उत्पन्न की जाती है वह “चमड़े” से बना होता है.
अच्छे गुणवत्ता वाले चमड़े की खासियत होती है कि यदि उसे एक निश्चित समयांतराल पर इस्तेमाल न किया जाए अथवा उसका उचित देखभाल न किया जाए तो वह सूखने लगता है और धीरे – धीरे ठोस होकर पपड़ी की तरह बन जाता है जिससे उसकी गुणवत्ता बहुत जल्दी खराब हो जाती है.
इसलिए अच्छे गुणवत्ता वाले चमड़े की बनी किसी भी वस्तु को – चाहे वह जूता हो अथवा किसी वाद्य यंत्र का कोई भाग, यदि उसकी उचित देखभाल नहीं की जाती है एवं निश्चित समयांतराल पर उसका प्रयाग नहीं किया जाता है तो वह बहुत जल्द खराब हो जाता है. जिसे ताड़ना कहा जाता है न कि प्रताड़ना.
इसी कारण ढोलक को “ताड़न” (न कि “प्रताड़ना”) का अधिकारी बताया गया है.
“ताड़ना” का शाब्दिक अर्थ है “उचित एवं आवश्यक देखभाल”. “प्रताड़ना” एवं “ताड़ना” शब्दों में अंतर होता है.
अयोध्या में आज भी इस्तेमाल किये जाने वाले दो शब्दों का प्रयोग देखिये
1. ताड़ो / ताड़ना – देखना / नजर बनाये रखना / ध्यान देना / ध्यान से देखना.
2. बिंदो – देखना / ध्यान से देखना / देखकर समझने का प्रयास करना.
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