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Showing posts from February, 2023

ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल “ताड़न” के अधिकारी प्रसंग में “ढोल” को ताड़ने का अर्थ

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ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल “ताड़न” के अधिकारी प्रसंग में  “ढोल” को ताड़ने का अर्थ क्या “ढोलक” को “ढोलक वादकों” द्वारा प्रताड़ित किया जाता है ? ढोलक के जो संगीतकार होते हैं, जिन्हें “ढोलक वादक” कहा जाता है, “ढोलक वादन” उनका प्रिय, पवित्र एवं सम्मान प्रदान करने वाला कार्य होता है. “ढोलक वादक” या तो खुद की रुचि के लिए “ढोलक वादन” करते हैं या फिर “ढोलक वादन” उनका व्यवसाय (profession) होता है, या यूँ कहें कि “ढोलक वादकों” की आजीविका “ढोलक वादन” से जुडी होती है. उनके लिए यह सम्मानजनक कार्य भी होता है. जिस प्रकार किसी व्यवसाई के लिए उसकी दुकान अथवा उसका व्यापारिक प्रतिष्ठान उसके लिए पूजनीय होता है उसी प्रकार एक “ढोलक वादक” के लिए उसकी “ढोलक” उसके लिए एक अत्यंत प्रिय एवं पूजनीय वस्तु/वाद्य यंत्र होती है. जो वाद्य यंत्र किसी के मन को सुकून देता है अथवा किसी की आजीविका का साधन होता है क्या उसे कोई “वादक” प्रताड़ित करने की सोच सकता है ? यदि ढोलक बजाने को प्रताड़ित करना समझा जाए तो क्या वीणा, सितार, मंदिर की घंटी, मृदंग, नगाड़ा, डमरू इत्यादि वाद्य यंत्रों को प्रताड़ित करके मधुर ध्वनि उत्पन्न की जाती

रामचरित मानस के एक प्रसंग की बात

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रामचरित मानस के एक प्रसंग को विवादों में लाने की को शिश की जा रही है जोकि  निम्नवत है - "ढोल गंवार शूद्र पशु  नारी ,   सकल ताड़न के  अधिकारी" उपरोक्त पंक्ति में सच   क्या   है   ?   उनके अर्थ क्या हैं ? इसकी बात करते हैं. इस लेख में केवल “नारी” शब्द की बात करते हैं. यदि “नारी” को प्रताड़ित करने का ईश्वरीय विधान है जैसा कि कुछ लोगों दवारा रामचरित मानस के प्रसंग का उल्लेख करके बताने का प्रयास किया जा रहा है , तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या माता पार्वती ,  माँ दुर्गा ,  माता कौशल्या ,  माता सुमित्रा ,   माता कैकई ,   माता सीता , आदि को उनके समय के   सभी पुरुषों ने प्रताड़ित किया अथवा समाज द्वारा उनका निरादर किया गया   ?   या फिर उनका निरादर आज भी किया जा रहा है ? पहली बात तो “ताड़ना” और “प्रताड़ना” शब्द अलग – अलग हैं. अयोध्या में दो शब्द आज भी प्रयोग किये जाते हैं -   “ताड़ना” / “ताड़ो” और   “ बिंदो”/”बिंदना”   दोनों का शाब्दिक   अर्थ है : देखना / निगाह रखना / ध्यान देना.   यदि आज भी आप अयोध्या के किसी पुराने रहने वाले व्यक्ति से पूछें तो वह व्यक्ति इसके बारे में अवश्य जानता

अचानक आ जाने वाले स्वास्थ्य सम्बन्धी खर्चो हेतु धन की व्यवस्था कैसे करें ?

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    अचानक आ जाने वाले स्वास्थ्य सम्बन्धी खर्चो हेतु धन की व्यवस्था कैसे करें ?   यह लेख विशेषकर उत्तर प्रदेश के नागरिकों के लिए है.   यदि किसी व्यक्ति को अथवा उसके किसी परिवारजन को कोई गंभीर बीमारी हो जाती है जिसका इलाज महंगा होता है और वह परिवार उस इलाज के खर्च को वहन करने में सक्षम नहीं है, तो ऐसे लोगों के लिए कुछ सुझाव निम्नवत दिए गए हैं - अपने क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों से संपर्क करें : वे अपने क्षेत्र के विधायक / सांसद अथवा MLC / मुख्यमंत्री कार्यलय  से तत्काल संपर्क स्थापित करें. जिस अस्पताल में इलाज कराना हो अथवा इलाज चल रहा हो, वहां से उस बीमारी के इलाज में लगने वाले खर्च का एक अनुमानित व्यय विवरण बनवाकर अपने क्षेत्र के संबंधित जन प्रतिनिधि विधायकों / सांसदों/ MLC को प्रस्तुत करें. सभी विधायकों / सांसदों/ MLC इत्यादि प्रमुख जन प्रतिनिधियों के पास उनकी क्षेत्र की जनता की स्वास्थ्य सम्बन्धी सहायता के लिए सरकार द्वारा आवंटित बजट होता है, जिससे वे ऐसे लोगों की सहायता कर सकते हैं. अस्पताल द्वारा दिए गए संभावित खर्च / व्यय के विवरण के अनुसार जन प्रतिनिधि अपनी निधि से