Skip to main content

Posts

Featured Post

'पहलगाम' आतंकी हमले में ‘डोनाल्ड ट्रम्प’ की संदेहात्मक भूमिका

Recent posts

क्या 'रूस' को 'दर्द' देने के लिए 'अमेरिका' ने 'पहलगाम' में आतंकवादी हमला कराया ?

          ‘डोनाल्ड ट्रम्प’ जबसे अमेरिका में राष्ट्रपति के रूप में पुनः सत्ता में आये हैं, तब से वे रह – रहकर कुछ न कुछ ऐसा काम करते ही रह रहे हैं, जो उनके वास्तविक व्यक्तित्व से भिन्न दिखाई पड़ता है. अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल में उनका व्यक्तित्व भिन्न था, और अब उनका व्यक्तित्व काफी बदला हुआ दिखाई दे रहा है. राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल में ‘डोनाल्ड ट्रम्प’ की छवि एक सुधारवादी, शांति स्थापित करने वाली व विकसित विश्व के निर्माण वाली रही; जो उनके क्रियाकलापों में स्पष्ट होती थी. परन्तु इस बार उनके क्रियाकलाप रहस्यमयी हैं जो बहुतों के समझ से परे है. अब वे दुनिया के विभिन्न देशों के साथ ऐसी पैतरे बाजी कर रहे हैं, जिससे दुनिया ‘अमेरिका’ की ताकत का लोहा माने, साथ ही कई देशों की आर्थिक तरक्की भी बाधित हो. खैर यह अमेरिका की स्टेट पॉलिसी रही है कि मात्र अमेरिका ही विश्व का सिरमौर बना रहे. उसके सामने जो भी देश प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ता दिखने लगे, उसे पीछे करना उसका मकसद रहा है चाहे उसके लिए किसी भी प्रकार का जायज अथवा नाजायज हथकंडा...

अपने दुश्मनों से निपटने में इजराइल व भारत का नजरिया – इतिहास और वर्तमान के चंद उदाहरण

इजराइल अपने दुश्मनों का पहचानता भी है और अपनी सुरक्षा की प्रतिबद्धता को लेकर पर्याप्त सक्रिय भी रहता है। अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के कारण ही इजराइल ने शुक्रवार 13, जून 2025 को ईरान के उन स्थानों पर सबसे पहले मिसाइलों से हमला किया, जहाँ ईरान परमाणु हथियार बनाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा था। ऐसा माना जा रहा था कि यदि ईरान को दो हफ्ते का समय और मिल गया होता, तो वह परमाणु हथियार तैयार कर लेता। लेकिन इजराइल ने ऐसा नहीं होने दिया। अमेरिका भी ईरान के परमाणु कार्यक्रमों के खिलाफ था और उसके विरुद्ध कार्यवाही की चेतावनी भी देता रहा; लेकिन इजराइल ने त्वरित कार्यवाही करते हुए अपने नजदीकी दुश्मन को समय रहते ही पंगु कर दिया। इजराइल एक ऐसा देश है जो चारों ओर से अपने दुश्मनों से घिरा है, लेकिन अपने दुश्मनों का मुकाबला करने के लिए वह यह व्यावहारिक बात अच्छे से जानता है, कि वह तभी तक सुरक्षित रह सकता है; जब तक वह स्वतः के प्रयासों से अपने को पर्याप्त रूप से मजबूत रखेगा। उसे दूसरों की मदद भी तभी प्राप्त हो सकेगी जब वह स्वयं में सक्षम होगा। इस व्यावहारिक समझ के कारण इजराइल स्वयं ...

"रूस - युक्रेन" युद्ध से पश्चिमी देशों की पोल खुल गई

अमेरिका में ‘डोनाल्ड ट्रंप’ के पुनः सत्ता में वापसी के कुछ दिनों बाद ही युक्रेन के राष्ट्रपति ‘जेलेंस्की’, ‘डोनाल्ड ट्रंप’ से मिलने अमेरिका गए. ‘डोनाल्ड ट्रंप’ और अमेरिका के उप राष्ट्रपति ‘वेंस’ से मुलाक़ात के दौरान उन्होंने सड़क उनसे छाप अंदाज में बातें की, और उस बातचीत के दौरान उन्होंने अमेरिकी उप राष्ट्रपति ‘वेंस’ पर बेवजह ऊंचा बोलने का आरोप लगा दिया; वह मात्र इसलिए कि ‘जेलेंस्की’ चाहते थे कि वे जो भी कह रहे हैं, उसे ही सही माना जाए. ‘वेंस’ पर ऊंचा बोलने का आरोप लगाते ही ‘डोनाल्ड ट्रंप’ ने ‘जेलेंस्की’ को तुरंत आड़े हाथों लिया, और उन्होंने जेलेंस्की को बहुत कुछ खरा - खरा सुना दिया.   ‘डोनाल्ड ट्रंप’ ने ‘जेलेंस्की’ को जो कुछ भी सुनाया, वह 100 प्रतिशत व्यावहारिक सत्य था.  ‘डोनाल्ड ट्रंप’ ने यूक्रेनी राष्ट्रपति ‘जेलेंस्की’ से कहा, कि एक तो अमेरिका के पूर्व के “मूर्ख राष्ट्रपति” (जो बाईडेन) की मदद से आप हमारे हथियारों और पैसे से युद्ध लड़ रहे हो, और आज हमें आँखें भी दिखा रहे हो. 'ट्रम्प' ने बेबाक अंदाज में आगे कहा, कि तुम्हारी वजह से ‘युक्रेन’ आज बर्बाद हो रहा है, वहां के शहर नष्ट ...